जमशेद क़मर सिद्दीकी के साथ चलिए कहानियों की उन सजीली गलियों में जहां हर नुक्कड़ पर एक नया किरदार है, नए क़िस्से, नए एहसास के साथ. ये कहानियां आपको कभी हसाएंगी, कभी रुलाएंगी और कभी गुदगुदाएंगी भी. चलिए, गुज़रे वक्त की यादों को कहानियों में फिर जीते हैं, नए की तरफ बढ़ते हुए पुराने को समेटते हैं. सुनते हैं ज़िंदगी के चटख रंगों में रंगी, इंसानी रिश्तों के नर्म और नुकीले एहसास की कहानियां, हर इतवार, स्टोरीबॉक्स में. Jamshed Qamar Siddiqui narrates the stories of human relationships ...
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Welcome to Sh. Farhan Siddiqi's podcast, where amazing things happen.
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About becoming a stronger you
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Welcome to the Syeda Zubaida podcast, where amazing things happen.
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My daily life #imdonewithit
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Building bridges by challenging stereotypes and breaking down barriers; Tio “Mr. Ceasefire '' Hardiman and Raza Siddiqui are combining forces and challenging listeners to speak their truth while hearing the truth of others. Lets work together!
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Buy the paperback edition of Falsafa and Irfan here: https://www.ebay.com/itm/352253939003?ul_noapp=true
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Nasim has been with Anchor Capital since 2005 and is currently based in New York. He is responsible for all aspects of the firm's international banking, investment strategy, team, and operations across Anchor Capital's affiliated global network. Nasim has worked and lived in Asia, the Caribbean, Central & South America, East Africa, and the United States.
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Subscribe and listen to the cosmically ecstatic love poems of the world's most adored poet, Rumi (Jalaluddin Mohammad Balkhi), spoken by Adam Siddiq.
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❤️ These stories are collections of all kinds of emotions containing love , betrayal , friendship, hatred , relationship, breakups etc . Reading and writing allocates me the gratification... showers gratitude ; intoxicating my soul ❤ I love writing stories & through this podcast I can reach out to people who loves stories... I am gonna post one short story per episode.... give your love by sharing them.✨
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A humorous take on modern life by the Siddiqui's. Here you'll find the musings of Dad (Sid) and his two sons Umar and Baasit. Discussing everything from fashion faux pas, culinary experimentation and family life. All delivered with the Siddiqui brand of dry humour, self-deprecation and pseudo- intelligence. We are loving the podcast experience and want to keep it up. Get involved and please like, follow, share and review the podcast however you are listening to it. GET IN TOUCH – Share your ...
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Welcome to my podcast channel where I'll be translating India's many holy books like the Bhagavad Gita and the Holy Quran in English for the American guys were not yet have read this holy books so so I think that this what that can be here can create and make a good audience I hope you all wanna listen to my podcast thank you and namaskar🙏
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कभी मैं, कभी तुम| स्टोरीबॉक्स विद जमशेद
23:47
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कॉफी का रंग घुलने लगा था। बावर्ची खाने में आंखों के कोरों पर ग़म को पोंछते हुए ज़ैनब चाय की पत्ती का डिब्बा ढूंढने लगी। दूसरी शादी का पहला दिन था वो। सब कुछ कितना अजनबी लग रहा था वहां। वो दीवारें, वो शेल्फ़, वो बर्तन... जैसे वो किसी अंजानी सड़क से गुज़र रही हो और तमाम अजनबी आंखें घूर रही हों। एक मां के तौर पर भी उसे खुद से शिकवा था, इस रिश्ते के लि…
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मीरपुर के पीर साहब | स्टोरीबॉक्स विद जमशेद
21:50
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मीरपुर के उस जलसे में मुझे स्टेज पर भेज दिया गया और दर्जनों लोग स्टेज पर आकर मुझसे गले लग कर जा रहे थे तभी मुझे मेरी जेब हलकी महसूस हुई. देखा तो कोई मेरा बटवा मार गया था. पैसे खोने का अफसोस नहीं था, डर इस बात का था कि बटुवे में रखा मेरे भाषण वाला पर्चा भी चला गया. सामने पांच हज़ार लोग थे। समझ नहीं आ रहा था कि अब बोलूं तो बोलूं क्या - सुनिए पतरस बुख…
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उसके जाने के बाद | स्टोरीबॉक्स विद जमशेद
23:01
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पत्नी का गुज़रे कुछ साल हुए थे कि मंशी जी बिल्कुल ज़िंदगी से अलग हो गए थे. किसी चीज़ में मन नहीं लगता था. कोई भूला भटका घर आ जाए तो उसे अपनी पत्नी के क़िस्से सुनाते रहते थे. पर एक रोज़ मैंने देखा कि वो सुबह सवेरे बन ठन कर कहीं निकल रहे हैं मैंने पीछा किया और जो देखा वो देख कर हैरान रह गया. पार्क में एक मोहतरमा उनका इंतज़ार कर रही थीं - सुनिये मुंशी…
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सर्दियों की एक रात | स्टोरीबॉक्स विद जमशेद
14:52
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रातें सर्द होने लगी थीं और उसके पास रहने का कोई इंतज़ाम नहीं था. उसने बहुत सोचा और फिर इस नतीजे पर पहुंचा कि उसके लिए अगले तीन महीने के लिए जेल से अच्छी जगह कोई नहीं है. उसे वहां मुफ्त खाना भी मिलेगा और कंबल भी. लेकिन सवाल ये था कि जेल जाने के लिए क्या किया जाए. उसने एक प्लान बनाया - सुनिए पूरी कहानी स्टोरीबॉक्स में जमशेद क़मर सिद्दीक़ी से…
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ब्रेक अप एट गरबा नाइट | स्टोरीबॉक्स विद जमशेद
13:05
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वो गुड़गांव के दफ्तर में होने वाली गरबा नाइट थी। फालगुनी पाठक उसमें चीफ गेस्ट थीं। हर तरफ डांडिया थामे सजे-धजे लोग और माहौल में म्यूज़िक गूंज रही थी लेकिन इस भीड़ में एक लड़का था इशान.. जिसके चेहरे पर हवाइयां उड़ रही थीं क्योंकि उसे गरबा खेलते-खेलते करना था ब्रेकअप... सुनिए पूरी कहानी स्टोरीबॉक्स में जमशेद क़मर सिद्दीक़ी से…
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उस घर में कौन था? स्टोरीबॉक्स विद जमशेद
22:00
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मुझे ये क्यों लग रहा था कि मैं उस घर में अकेला नहीं हूं. कोई और भी है जो मेरे आसपास खड़ा मुझे देख रहा है. बिजली तेज़ से कौंधी और तभी मैंने वो देखा जो मैं अपनी मौत तक कभी नहीं भूल पाऊंगा. सुनिए स्टोरीबॉक्स में हॉरर कहानी 'उस घर में कौन था?'Autor: Aaj Tak Radio
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शायर साहब का कुत्ता | स्टोरीबॉक्स विद जमशेद
15:13
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एक शायर साहब ने कुत्ता पाला और न सिर्फ पाला बल्कि उस कुत्ते को शायरी के आदाब भी सिखा दिये. कुत्ता इतना शायरी का पारखी हो गया कि न सिर्फ पूंछ उठा के बता देता था कि शेर अच्छा है या ख़राब बल्कि नए शायरों की गज़ल की इस्लाह भी कर देता था. एक बार मेरा उन शायर साहब के घर में जाना हुआ और वो किस्सा भुलाए नहीं भूलता. सुनिए स्टोरीबॉक्स में पतरस साहब की कहानी …
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हॉस्पिटल की एक सुबह | स्टोरीबॉक्स विद जमशेद
11:58
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मेरे सामने बैठी उस ग़रीब महिला ने अपने कंधे पर से साड़ी का पल्लू हटाते हुए कहा, "डॉक्टर साहब, पति ने बहुत मारा है" उसके कंधे का ज़ख्म गहरा था और उस पर दांत के निशान थे। सुनिए स्टोरीबॉक्स में कहानी 'अस्पताल की एक सुबह' जमशेद क़मर सिद्दीक़ी सेAutor: Aaj Tak Radio
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दूसरी दुनिया से आई उस लड़की ने प्रोफ़ेसर से क्यों कहा कि वो उनके बारे में ऐसा राज़ जानती है जो दुनिया में औऱ कोई नहीं जानता. भेड़िये के बारे में प्रोफेसर ने जो कुछ नैना को बताया उसमें कितना सच था और कितना झूठ? क्या हुआ था मुर्तज़ा के साथ? और क्या था उसकी मौत का असली राज़? सुनिए स्टोरीबॉक्स में भेड़िया कहानी का दूसरा और आखिरी पार्ट - जमशेद क़मर सिद्…
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उस लड़की ने कहा कि वो तीन सौ साल बाद की दुनिया से आई है. वो एक टाइम ट्रैवलेर है और प्रोफ़ेसर तबस्सुम के बेटे मुर्तज़ा जिसके बारे में मशहूर था कि उसे भेड़िये उठा कर ले गए थे, वो उस हादसे की हक़ीकत जानती थी. क्या थी हक़ीकत और क्या वो वाकई भविष्य से आई थी? सुनिए जमशेद क़मर सिद्दीक़ी से स्टोरीबॉक्स की नई कहानी 'भेड़िया'…
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ज़ेवर का डिब्बा | स्टोरीबॉक्स विद जमशेद
27:35
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ठाकुर साहब ने उसे कभी भी अपने सगे बेटे से कम नहीं माना था और इसीलिए जब सगे बेटे की शादी हुई तो शादी की सारी खरीद फ़रोख्त की ज़िम्मेदारी उसे ही दे दी. लाखों का लेन देन उसी के हाथों हो रहा था यहां तक कि शादी के ज़ेवर भी उसी ने ख़रीदे. कभी उसकी नीयत नहीं ख़राब हुई लेकिन एक रोज़ रात के वक्त उसके ज़मीर ने करवट बदली और उसने ज़ेवरों से भरे उसे डिब्बे को च…
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एक कवि की मौत की अफवाह | स्टोरीबॉक्स | Ep 103
19:49
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शहर में खबर उड़ी की एक बड़े इंतकाल फ़र्मा गए हैं. और थोड़ी देर बाद पता चला कि ख़बर अफवाह है. पर इस अफ़वाह ने मोहल्ले के फ़र्ज़ी शायर शुक्ला जी 'ज़ालिम' का नुकसान कैसे कर दिया. किस चक्कर में फंस गए शुक्ला जी 'ज़ालिम' सुनिए स्टोरीबॉक्स में.Autor: Aaj Tak Radio
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बिना बालकनी वाला मकान | स्टोरीबॉक्स विद जमशेद | Ep 102
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वो शहर मेरे लिए नया था, वहां की दीवारें अजनबी थीं. उस शहर की सबसे अजीब बात ये है कि वहां घरों में बालकनी नहीं होती थी, बस एक खिड़की जिससे अपने हिस्से का आसमान ताकते रहो. उस घर में रहते हुए मुझे याद आई अपने घर की वो बड़ी सी बालकनी जहां मैं शाम को खड़े होकर चाय पीता था. और मैंने तय किया कि मैं लौट जाऊंगा. लेकिन उसी शाम मेरी कागज़ात की फाइल से एक पुरा…
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26/11: मुंबई की वो रात | स्टोरीबॉक्स | Ep 101
22:53
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वो रात जब सिर्फ मुंबई दहल उठी थी। होटल ताज में छुपे आतंकवादियों के निशाने पर थे आम लोग। कई बेगुनाहों की मौत हो चुकी थी और कई उनके निशाने पर थे। ऐसे वक्त में सामने आई नेवी के कमांडोज़ की एक ख़ास टुकड़ी जिसने अंधेरे कमरे में छुपे आतंकवादियों का निशाना सिर्फ आवाज़ों के सहारे किया। 78वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर सुनिए स्टोरीबॉक्स की ख़ास कहानी '26/11…
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PROMO : STORYBOX WITH JAMSHED QAMAR SIDDIQUI | 100 Episodes
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स्टोरीबॉक्स ने पूरे कर लिये हैं 100 शानदार एपिसोड्स। इस सफ़र में यहां तक साथ देने के लिए आप सभी का बहुत बहुत शुक्रिया। इंसानी जज़्बात की ये ख़ूबसूरत कहानियां चलती रहेंगी। - जमशेद क़मर सिद्दीक़ीAutor: Aaj Tak Radio
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नवाब साहब का घोड़ा | स्टोरीबॉक्स | EP 100
18:45
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नवाब साहब का वो घोड़ा मशहूर इसलिए था क्योंकि माना जाता था कि अगर किसी ने घोड़े की पूंछ का बाल सूंघ लिया तो उसे मनचाहा प्यार मिल जाएगा। हर इतवार घोड़े के पीछे लाइन लग जाती थी लेकिन एक रोज़ जब नवाब साहब की बेटी को मोहल्ले के बब्लू से प्यार हो गया तब घोड़ा काम नहीं आया - सुनिए पूरी कहानी 'स्टोरीबॉक्स' में जमशेद क़मर सिद्दीक़ी साउन्ड मिक्सिंग: कपिल देव…
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पुराने मुहल्लों का प्यार | स्टोरीबॉक्स | EP 99
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परवेज़ भाई वो आदमी थी कि जो सालभर तो ठीक रहते थे लेकिन फरवरी का महीना आते ही उनके अंदर एक अजीब सा गुस्सा आ जाता था. वो उन आशिकों की पिटाई के मौके ढूंढने लगते थे जो अपनी महबूबा के साथ बन ठन के घूमने निकलते थे. पर तब क्या हुआ जब परवेज़ भाई को ही इश्क़ की हवा लग गयी. जब मोहल्ले में रहने वाली उनकी पुरानी इकतरफ़ा मुहब्बत आफ़रीन ने लिख दिया उनके नाम पर ह…
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आधी रात की आख़िरी कैब | स्टोरीबॉक्स | EP 98
21:10
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रात के सन्नाटे में एक कैब ड्राइवर को मिली एक ऐसी सवारी जिसके साथ किया हुआ सफर वो हमेशा याद रखेगा। ढाई साल पहले दिल्ली के एक इलाके में हुई लड़की की हुई मौत से उस सवारी का क्या रिश्ता था और क्यों शहर के एक ख़ास चौराहे पर कैब्स का एक्सीडेंट हो जाता था? इन हादसों के पीछे की ख़ौफनाक हक़ीकत सुनिए 'स्टोरीबॉक्स' में जमशेद कमर सिद्दीक़ी से…
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पुरानी तिजोरी और दस लाख का चैलेंज | स्टोरीबॉक्स | Ep 97
27:08
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शहर के अख़बार में एक सुबह ख़बर छपी "किसी भी ताले या तिजोरी को खोलने में माहिर मुख़्तार ने डालमिया लॉक्स कंपनी को दी चुनौती" मुख़्तार नाम के शख्स ने कहा कि वो हज़ारों लोगों के सामने 'डालमिया लॉक्स' की सबसे सुरक्षित मानी जाने वाली तिजोरी को खोल कर दिखाएगा। पहले ही दिवालिया होने के कगार पर खड़ी कंपनी ने क्या मुख़्तार की चुनौती को कुबूल किया? क्या ये क…
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ज़ुल्फ़ी भाई की बिरयानी | स्टोरीबॉक्स | EP 96
17:02
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ज़ुल्फ़ी भाई घर से निकले हाथ में बिरयानी थी और चल दिए उस घर की तरफ जहां उन्हें बिरयानी डिलिवर करनी थी लेकिन तब वो ये कहां जानते थे कि आज उनकी ज़िंदगी में वो होने जा रहा है जिसका इंतज़ार वो पिछले छ सालों से कर रहे थे और वो थी आबिदा से मुलाकात - सुनिए स्टोरीबॉक्स में कहानी 'ज़ुल्फ़ी भाई की बिरयानी'Autor: Aaj Tak Radio
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थोड़ी सी थ्रिलर कहानी | स्टोरीबॉक्स | EP 95
25:33
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एक थ्रिलर नॉवेल लिखने वाला शख्स को अजनबी शहर में अचानक पता चलता है कि उसके कोई पुराने रिश्तेदार इसी शहर में रहते हैं. वो मिलना तो नहीं चाहता पर मां के बार-बार फोन आने पर उसे मिलने जाना पड़ता है. जब वो वहां पहुंचता है तो उसे एक 13-14 साल की बच्ची मिलती है जो उसे एक कमरे में बैठने के लिए कहती है. एक कमरा जिसका पीछे का दरवाज़ा जंगल की तरफ खुलता है. खू…
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मेरे हस्बैंड की गर्लफ्रेंड | स्टोरीबॉक्स | EP 94
24:43
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एक पत्नी अपनी पति की बात उसकी एक्स गर्लफ्रेंड से क्यों करवाती थी? वो क्या था जिसने उन दोनों को एक बीते हुए रिश्ते को लेकर इतना सहज बना दिया था? और वो एक्स गर्लफ़्रैंड उन दोनों की ज़िंदगी में किस तरह शामिल थी? सुनिए डॉ दुष्यंत की किताब 'क़िस्से कॉफ़ियाना' की एक कहानी 'एकदा एक्स' का एक हिस्सा स्टोरीबॉक्स में जमशेद क़मर सिद्दीक़ी से. साउंड मिक्सिंग: न…
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घर के पीछे वाले कमरे के एक कोने में रखी उस पुरानी अलमारी में कौन से राज़ छुपे थे जो अंतरा की मम्मी उसके सामने नहीं आने देना चाहती थीं? अंतरा के पापा की मौत के बाद ज़िंदगी को दोबारा शुरु करने में अंतरा को कौन से डर घेरे रखे थे. सुनिए जमशेद कमर सिद्दीक़ी से स्टोरीबॉक्स में कहानी 'घर की अलमारी'. साउंड मिक्सिंग: कपिलदेव सिंह…
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वायसरॉय साहब का पंखा | स्टोरीबॉक्स | EP 92
23:00
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जलील भाई के दादा को किसी ज़माने में वायसरॉय साहब ने अपने बंग्ले से उतार कर पंखा दिया था और वही पंखा जलील भाई की डेंटल क्लीनिक पर आजतक लटका हुआ है. पर इस पंखे ने कैसे बिगाड़ दी जलील भाई की प्रेम कहानी - सुनिए जमशेद क़मर सिद्दीक़ी से स्टोरीबॉक्स मेंAutor: Aaj Tak Radio
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क़िस्सा नकली नोट का | स्टोरीबॉक्स | EP 91
18:29
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कानपुर रेलवे स्टेशन पर रिज़र्वेशन की लाइन में खड़े एक शख्स ने जब खिड़की से पैसा अंदर बाबू की तरफ बढ़ाया तो उसने कहा कि ये नोट नकली है लेकिन नकली नोट की वजह से वो कैसे मिल गए अपनी उस मुहब्बत से जिसकी तलाश में सालों से यहां वहां मजनूँ बने घूम रहे थे - सुनिए स्टोरीबॉक्स में क़िस्सा नकली नोट का - जमशेद क़मर सिद्दीक़ी से…
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इतनी रात के वक्त यहां क्या कर रहे हो? पुलिस अफ़सर ने उससे पूछा तो उसने कहा, "मैं अपने पुराने दोस्त का इंतज़ार कर रहा हूं। बीस साल पहले हमनें यहीं मिलने का वादा किया था" कुछ देर बाद एक शख्स आया और उसने बढ़ाते हुए कहा, "तुम बॉब हो?" बॉब ने झिझकते हुए हाथ तो बढ़ा दिया पर उसे शक था कि ये उसका दोस्त ही है या फिर कोई और... - सुनिए स्टोरीबॉक्स में इस हफ्त…
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अमावस की वो रात | स्टोरीबॉक्स | EP 89
14:40
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उस काली अंधेरी सुनसान रात में सामने वाले अपार्टमेंट की खिड़की में मैंने जो देखा था उसे मैं कभी नहीं भूल सकता. भूत प्रेत या साय पर मेरा यकीन हो या ना हो लेकिन उस रात के बाद ज़िंदगी और उसकी अहमियत पर मेरा यकीन ज़रूर बढ़ गया था - सुनिए स्टोरीबॉक्स में कहानी 'अमावस की वो रात' जमशेद क़मर सिद्दीक़ी सेAutor: Aaj Tak Radio
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फिल्मों में हीरो-हीरोइन जैसे ही हमेशा के लिए मिलते हैं, फिल्म खत्म हो जाती है। पर असल में ज़िंदगी तो वहीं पर शुरु होती है। शादी को मुहब्बत का THE END क्यों माना जाता है? सुनिए लतिका और शिवम की वो प्रेम कहानी जो शादी के बाद घर की चार दीवारी के बीच शुरु हुई। स्टोरीबॉक्स में जमशेद क़मर सिद्दीक़ी से. साउंड मिक्सिंग: कपिल देव सिंह…
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मियां, बीवी और मर्डर | स्टोरीबॉक्स | EP 87
14:07
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मैं अपनी बीवी का मर्डर करना चाहता था और इसके लिए मैंने एक प्लान किया एक परफेक्ट मर्डर. मैंने उसे बर्फ से ढके उस पहाड़ पर चलने के लिए कहा जहां मेरा इरादा था उसे वहां से धक्का देने का. लेकिन मेरी पत्नी अपने प्लान के साथ आई थी. उसने जो रचा था उसने मुझे हैरान कर दिया था क्या कोई किसी से इतनी नफरत कर सकता है? सुनिए 'मियां, बीवी और मर्डर' जमशेद कमर सिद्द…
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एक शायर की ख़ुदकुशी | स्टोरीबॉक्स | EP 86
31:53
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एक मरता हुआ पेशेंट जो मरने से पहले आखिरी बार अपने उस पसंदीदा शायर की नज़्म सुनना चाहता है जिसने ज़िंदगी की बोरियत से तंग आकर खुदकुशी कर ली थी। और एक फीमेल डॉक्टर जो जानती है कि वो मरता हुआ पेशेंट मरते वक्त उसके गले लग कर इस दुनिया से जाना चाहता है क्योंकि वो उससे मुहब्बत करता है। सुनिए स्टोरीबॉक्स की कहानी 'एक शायर की खुदकुशी' जमशेद क़मर सिद्दीक़ी …
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मोहल्ले का मंकी मैन | स्टोरीबॉक्स | EP 85
19:36
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मोहल्ले में आ गया है मंकी मैन. चश्मदीद बताते हैं कि उसकी आंखों की जगह लाल लाइट हैं और मुंह से धुआं निकलता है. वो छत के ऊपर से उड़ते हुए गुज़रता है और लोगों को काट लेता है. मोहल्ले के पार्षद जी बसेसर नाथ ने जनता से वादा किया है कि वो मंकी मैन से निपटने के लिए अपने घर की छत पर सोएंगे. क्या होगा पार्षद जी का - सुनिए 'स्टोरीबॉक्स' में नई कहानी 'मोहल्ले…
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ख़ामोश सा अफ़साना | स्टोरीबॉक्स | EP 84
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नए रिश्तों की चमक में पुराने रिश्ते मद्धम ज़रूर पड़ जाते हैं लेकिन उनकी याद अक्सर आंखों को भिगो जाती है. मेरी एक उंगली पर बना वो निशान जो पुरानी अंगूठी उतारने से बन गया था, मुझे बार बार मेरे गुज़र चुके शौहर की याद दिला रहा था पर अब वक्त आ गया था कि उसे उतार दिया जाए - सुनिए स्टोरीबॉक्स की कहानी 'ख़ामोश सा अफ़साना' जमशेद क़मर सिद्दीक़ी से…
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शायद मैं अकेली थी जिसे ईद का इंतज़ार नहीं था. इंतज़ार करें भी तो किसका. कुछ लोग आपकी ज़िंदगी से इस तरह जाते हैं कि सब कुछ बेरंग लगने लगता है, खासकर तब जब आपको पता हो कि वो इसी दुनिया के किसी हिस्से में आप के बारे में सोच रहे होंगे - सुनिए स्टोरीबॉक्स में एक खास कहानी 'ईद मुबारक' जमशेद क़मर सिद्दीक़ी से…
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एक डॉगी की लवस्टोरी | स्टोरीबॉक्स | EP 82
19:26
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कहते हैं कि आदमी इश्क़ में कुत्ता बन जाता है लेकिन मुझे ऐसा कोई डर नहीं था क्योंकि मैं तो एक कुत्ता ही था। मैं सड़क का आवारा कुत्ता था लेकिन मुझे इश्क़ हो गया था उस आलीशान घर में रहने वाली पिंकी पॉमेरेनियन से जो अपनी मंहगी कार में अपनी मालकिन की गोद में बैठी रहती थी। हमने भी हार नहीं मानी गली के सारे दोस्त यार, मरझिल्ले, कनकटे, दुबले-पतले कुत्ते जम…
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फांसी या उम्रक़ैद? | PART 2 | स्टोरीबॉक्स | EP 81
21:40
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15 साल कैद के बदले दस करोड़ की शर्त लगाने वाला वो अमीर कारोबारी कौन था जिसने सातवीं पास लड़के से लगाई एक अजीब शर्त? वो उस लड़के के कमरे में रिवॉल्वर लेकर क्यों गया था? और क्या वो लड़का अशर, 15 साल क़ैद की वो शर्त पूरी कर पाया? सुनिए स्टोरीबॉक्स में बेहद ख़ास कहानी फांसी या उम्रक़ैद - आजतक रेडियो पर साउन्ड मिक्सिंग: नितिन रावत…
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फांसी या उम्रक़ैद? | PART 1 | स्टोरीबॉक्स | EP 80
17:52
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एक सातवीं पास शख्स से एक अमीर कारोबारी ने लगाई अजीब शर्त जिसमें उसे 15 साल तक एक क़ैद खाने में रहना था जिसके एवज में वो उसे दस करोड़ देने वाला था. क्यों लगाई उसने ऐसी शर्त और कौन जीता इस शर्त को - सुनिए स्टोरीबॉक्स में कहानी 'फांसी या उम्रकैद' जमशेद क़मर सिद्दीक़ी से साउन्ड मिक्सिंग: सचिन द्विवेदीAutor: Aaj Tak Radio
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सीमा दीदी ऑफिस में अपने पति की खूब तारीफें करती थीं लेकिन उनके हाथ पर हर रोज़ चोट का एक नया निशान दिखता था. वो कहती थीं, "वीकंड पर हम लोग फिल्म देखने गए थे, ये तो मेरा इतना ख़्याल रखते हैं कि पूछो मत बार बार फोन करते हैं" जबकि वो कभी उनको पिक करने दफ़्तर नहीं आए थे. सीमा दीदी दुनिया के सामने अपनी ज़िदगी को झूठी खूबसूरती से सजाए रखना चाहती थीं, जबकि…
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हकीम साहब की चूहेदानी | स्टोरीबॉक्स | EP 78
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जिस सुबह तीन मोटे चूहों ने हकीम साहब की सदरी दातों से कुतर डाली, उन्होंने तय किया कि अब चाहे जो भी हो जाए लेकिन इन चूहों से छुटकारा पाकर रहेंगे लेकिन उनको पकड़ने के लिए चाहिए एक चूहेदानी. एक तो सदरी कट गयी, ऊपर से पैसा खर्च करके वो खरीदें तो भई ये तो न हो पाएगा. इसके लिए उन्होंने एक ऐसी तरकीब सोची कि सांप भी मर जाए और लाठी भी न टूटे, लेकिन ये तरकीब…
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A Nameless Dog (एक बेनाम कुत्ता) | स्टोरीबॉक्स | EP 77
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कोई नहीं जानता था कि उस कुत्ते का नाम क्या था और वो वहां कब से आया था? काले रंग का वो कुत्ता मुझे हमेशा ग्राउंड फ्लोर के दरवाज़े की चौखट पर सर टिकाए बैठा रहता था. हर आहट पर उसके कान खड़े हो जाते थे पर अब वो बीमार हो गया था और एक रोज़ उसकी आंखें बंद होने लगीं... और तब मैंने उसे उसके नाम से पुकारा... शायद 8 साल में पहली बार किसी ने उसे उसके नाम से पु…
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उस खिड़की में ... कोई है | स्टोरीबॉक्स | EP 76
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कभी आपके साथ भी ऐसा हुआ है कि सड़क से गुज़रते हुए किसी ऐसे खाली मकान की तरफ देखने पर जो सालों से खाली हो... ऐसा लगता है जैसे उसकी खिड़की से कोई आपको देख रहा है? दो आंखें आपकी तरफ देख रही हैं... क्योंकि उन्हें आपसे कुछ कहना है... वो आपका तब तक पीछा करती हैं जब तक ... आप उन्हें देख पाते हैं और या फिर वो आपको - सुनिए स्टोरीबॉक्स की कहानी 'उस खिड़की मे…
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राजू शर्मा की लव स्टोरी | स्टोरीबॉक्स | EP 75
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राजू शर्मा अब दो बच्चों के पिता और एक बीवी के पति हैं. बाहर निकला हुआ पेट है, डबल चिन है. ज़िंदगी की दो दुनी चार में उलझे रहते हैं पर क्या कोई कह सकता है कि ये वही राजू हैं जो कॉलेज के ज़माने में 'राज' हुआ करते थे. स्पोर्ट्स बाइक पर जिधर से निकलते थे लड़कियां आहें भरती थीं... पर फिर उनकी शादी हो गयी. फरवरी की गुलाबी ठंड में वैलेटाइन जब दस्तक देने ल…
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शहर में हर तरफ दंगे फैले हुए थे. सड़कों से जली हुई गाड़ियों का काला धुआं उठ रहा था और बीच बीच में पुलिस की सायरन बजाती गाड़ियां सन्नाटे को चीरती हुई निकल जाती थीं. इसी वक्त मैं एक सड़क पर अपनी कार में बैठा मदद का इंतज़ार कर रहा था क्योंकि रास्ते में मेरी कार ख़राब हो गयी थी. तभी एक शख्स ने खिड़की पर दस्तक दी और उसके बाद वो हुआ जिसका मुझे बिल्कुल भी…
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आंटी ने मुझसे मना किया था कि मैं उस रास्ते से न आऊं लेकिन क्यों ये वो नहीं बताती थीं. एक बार जब मैंने ज़ोर देकर पूछा तो उन्होंने बताया कि उस रास्ते पर एक उदास रूह भटकती है. मुझे पता चला कि उसी रास्ते पर पहले भी तीन लाशें मिल चुकी हैं जिनकी हालत इतनी ख़राब थी कि उन्हें पहचाना भी नहीं जा सका. मैंने वादा तो कर लिया कि मैं उधर से नहीं जाऊंगा पर एक रोज़…
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शहर, कोहरा और क़त्ल | स्टोरीबॉक्स | EP 72
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पागलखाने की मोटी दीवारों के बीच नादिया ज़ंजीरों से बंधी हुई थी। शहर के अरबपति इत्र कारोबारी शेख अब्दुल हुनैद की इकलौती औलाद, चीख रही थी। दो डॉक्टरों की उंगली चबा लेनी वाली नादिया ने अपने शौहर के टुकड़े टुकड़े क्यों कर दिए और क्यों उसेक पिता ने उसके पति से कहा था - नादिया को नुकीली चीज़ों से दूर रखना। कोहरे की चादर से ढके शहर में कौन कर रहा था एक के…
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नौ सो की लिप्स्टिक | स्टोरीबॉक्स | EP 71
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“जाओ... कल से चली जाऊंगी रिक्शा करके, कोई ज़रूरत नहीं मुझे ऑफ़िस ड्रॉप करने की” अंजली गुस्से से बोली, “वैसे भी तुम्हारा टुटपुंजिया स्कूटर देखकर हंसते हैं मेरे ऑफिस वाले” मैंने कहा, “हां-हां तो तुम तो शाही घोड़ागाड़ी वाले खानदान की हो न... लोकेश ने तंज़ कसा तो अंजली ज़हरबुझी आवाज़ में बोली, “ख़ानदान की धौंस न दो, सब पता है तुमाए दादा सपरौता गांव में…
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मैं जब उनके घर में फ्रिज रिपेयर करने पहुंचा तो मैंने देखा कि वो बुज़ुर्ग और उनकी पत्नी बड़े से पीली रौशनी वाले घर में अकेले थे। उनके पास बातचीत करने के लिए कुछ नहीं था। शायद उन्हें जो कुछ एक दूसरे से कहना था वो अपने 35 साल के रिश्ते में सब कह चुके थे। जब बुज़ुर्ग चाय बनाने लगे तो मैंने कहा, "क्या आप दोनों इस घर में अकेले ही रहते हैं" बुज़ुर्ग ने मे…
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न्यू ईयर नाइट और एक क्राइम | स्टोरीबॉक्स | EP 69
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वो नए साल की रात थी... जब सारा शहर रंगिनियों में खोया था... शहर की सड़कें जश्न के रंग में डूबी हुई थी... लेकिन इसी शहर में शाम से ही पुलिस की गाड़ियां हड़बड़ाए सायरन की आवाज़ बजाते हुए शहर में घूम रही थीं। खबर थी कि इस शहर में एक संदिग्ध शख्स को दाखिल होते हुए देखा गया है जिसके इरादे खतरनाक हैं। वो शख्स कौन था... और क्या चाहता था... जश्न में डूबा ह…
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छुट्टी का एक दिन | स्टोरीबॉक्स | EP 68
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उस कड़कड़ाती ठंड की सुबह, स्कूल में बतौर टीचर पढ़ाने वाले एक साहब जब स्कूल जाने की तैयारी कर रहे थे कि तभी उन्हें रेडियो पर खबर मिली कि सर्दी की वजह से आज डीएम साहब ने पूरे ज़िले में दसवीं तक के स्कूलों की छुट्टी कर दी है। वो मारे खुशी के उछल पड़े लेकिन तभी उनके दिमाग में आयी एक शरारत... - सुनिए 'छुट्टी का एक दिन' स्टोरीबॉक्स में जमशेद क़मर सिद्दीक़ी…
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पुराने लखनऊ में वो करीब सौ साल पुरानी क्लीनिक थी जिसमें डाकटर साहब एक बड़ी सी मेज़ के पीछे बैठते थे। पीछे अलमारी में सैकड़ों दवाएं सजी रहती थीं जिसे शायद अर्से से खोला नहीं गया था। डॉकटर खान के हाथों में बड़ी शिफ़ा थी। नाक कान गले के डॉक्टर थे और दो खुराक में पुराने से पुराना मर्ज़ ठीक हो जाता था। बस एक दिक्कत थी और वो ये कि 'डाकटर साहब' डांटते बहु…
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चचाजान की लव मैरिज | स्टोरीबॉक्स | EP 66
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ये उन दिनों की बात है कि जब चचा जान अलीगढ़ यूनिवर्सिटी में पढ़ते थे और उन दिनों गेट नम्बर दो पर एक पीसीओ होता था। पीसीओ के मालिक रमज़ानी भाई से चचा की दोस्ती थी। दिनभर चाय का दौर चलता रहता। लेकिन उन दिनों फोन पर किसी को बुला देना का बड़ी रवायत थी। फोन आता है कि भई फलां बोल रहे हैं, फलां को बुला दीजिए। दिन भर मोहल्लेदारी में किसी न किसी को बुलाना हो…
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