कवितायेँ जहाँ जी चाहे वहाँ रहती हैं- कभी नीले आसमान में, कभी बंद खिड़कियों वाली संकरी गली में, कभी पंछियों के रंगीन परों पर उड़ती हैं कविताएँ, तो कभी सड़क के पत्थरों के बीच यूँ ही उग आती हैं। कविता के अलग अलग रूपों को समर्पित है, हमारी पॉडकास्ट शृंखला - प्रतिदिन एक कविता। कीजिये एक नई कविता के साथ अपने हर दिन की शुरुआत।
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Society
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Najlepsze Society podcasty, jakie mogliśmy znaleźć
Najlepsze Society podcasty, jakie mogliśmy znaleźć
Over the years, podcasts have become an increasingly popular medium because they are well-packed, can be followed from any place, at any time and without Internet connection. Listening to podcasts enables people gain a clearer insight about the social affairs and social issues in every corner of the world. In this catalog, there are podcasts where well-read hosts and guests discuss about people of different religions and their way of life and culture, of different communities, countries, continents, different philosophies as well as different points of view on society. Also, literature fans can learn more about the latest news from their favourite genres, emerging authors, current best selling books and literary theories. Furthermore, people can find interviews and true and inspiring life stories told by people from all walks of life. Some podcasts house activists who fight for the rights of the oppressed, ranging from animals to people, aiming at creating a better society.
हमें ज़िन्दगी में एक दोस्त ऐसा ज़रूर चाहिए होता है जो हमारी problems को सुने और समझे भी, क्यूंकि बिना समझे ज्ञान तो सभी देतें हैं। एक टुकड़ा ज़िन्दगी का, में Ashish Bhusal आपके उस दोस्त की कमी पूरा करना चाहतें हैं। In each episode, Ashish will talk about a common yet pressing issue proposed by you. And he will share a few tips to resolve it. To get your issue featured and resolved on this podcast DM Ashish on Instagram @ashupanti. And to stay updated on Ek Tukda Zindagi ka follow us on FB, IG, T ...
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हमारे आस-पास कब क्या वारदात हो जाए कौन आपका दुश्मन साबित हो जाए ये जानना मुश्किल है। जब जुर्म दस्तक देता है तो उसकी आवाज़ बहुत कम पर रफ़्तार तेज़ होती है, लेकिन उसके शुरू होने के 4 मुख्य कारण होते हैं, पहला - लालच, दूसरा - मोह, तीसरा - माया यानि पैसा और शोहरत, चौथा - बदला। इस श्रंखला में अंकुश बख्शी पेश करेंगे अपराध जगत के तमाम मामलों की रिपोर्ट, सुनिए और सावधान रहिए।
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Hi there beautiful! In my podcast, I bring you topics that are close to women's heart. Using research and storytelling (and poetry), I shed light on issues that are often ignored by the society, such as contribution of full time mothers, grey hair and society ki soch, challenges faced by working mothers. I hope that you will find your story reflected in my podcasts. I also have a weekly news (samachar) brief where you can catch up with the latest from the world. So join me on a new journey e ...
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साहित्य और रंगकर्म का संगम - नई धारा एकल। इस शृंखला में अभिनय जगत के प्रसिद्ध कलाकार, अपने प्रिय हिन्दी नाटकों और उनमें निभाए गए अपने किरदारों को याद करते हुए प्रस्तुत करते हैं उनके संवाद और उन किरदारों से जुड़े कुछ किस्से। हमारे विशिष्ट अतिथि हैं - लवलीन मिश्रा, सीमा भार्गव पाहवा, सौरभ शुक्ला, राजेंद्र गुप्ता, वीरेंद्र सक्सेना, गोविंद नामदेव, मनोज पाहवा, विपिन शर्मा, हिमानी शिवपुरी और ज़ाकिर हुसैन।
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Bhalta Raja - Musical presentation on the lines of Altaf Raja. RJ Ravi imitates Altaf like nobody else and uses the sarcasm to highlight important matters of the society.
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Hum lekar aaye hain aap logon ke liye ek bahut hi khaas audio series jo ki inspired hai “Maila Aanchal” upanyas se jiske lekhak hai “Phanishwar Nath Renu”. Aaiye samajhte hain gaon ki kathinaiyon, gareebi, zamindari pratha ke bare mein vistaar se Depak Yadav ke aawaz mein.Toh der kis baat ki shuru kariye sunana “Maila Anchal” sirf “Audio Pitara” par. #audiopitara #sunnazaroorihai #audio #series #rural #life #poverty #zamindari #system #mailaaanchal #books #society #culture #history
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Chandragupt Maurya ki Kahani by Jaishankar Prasad : History Podcast
Audio Pitara by Channel176 Productions
Mauraya Samrajya ke sansthapak Chandragupt ne apni sujhbhujh aur himmat par Bharat ki taraf badhte videshi hamlavar Sikandar ko roka tha. Isi Chandragupt ko kendra mein rakh kar Jayshankar Prasad ne 'Chandragupt' shirshak se natak ki rachna ki hai, jisme Bharatiya itihaas, darshan evam sanskriti ki jhalak milti hai. Aise hi, interesting audio stories aur podcast suniye only on Audio Pitara par. #chandragupt #journey #power #struggles #sacrifices #ancient #india #epic #audiopitara #sunnazaroo ...
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Din Bhar is a daily news analysis podcast in Hindi language presented by Aaj Tak Radio. It covers issues ranging from Politics and international relations to health, society, cinema and sports. Did your regular prime time debate miss something that really matters to you? Close your day with Din Bhar, wherein we pick four big news stories of the day and analyse them with help of experts in a manner that is easy to understand. दिन भर के शोर के बाद शाम ढल गई है. हमारे यहां आइए. ख़बरों के सबसे अ ...
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“Skandagupta" is a drama by the poet "Jaishankar Prasad". The play revolves around the historical figure Skandagupta, a "Gupta dynasty" emperor who ruled in ancient India. The play explores Skandagupta's challenges and commitment to upholding justice and righteousness through the dramatic narrative. The drama delves into themes of leadership, duty, and patriotism while also depicting the personal struggles and decisions faced by Skandagupta. Skandagupta" is a drama written by Hindi poet and ...
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25 Sarvshreshth Kahaniyan (Hindi Audiobook) by Manto (25 Selective Stories of Saadat Hasan Manto)
Audio Pitara by Channel176 Productions
Saadat Hasan Manto was a renowned Urdu writer who gained fame for his stories with a touch of mystery and cool detachment. And now, Audio Pitara has brought to you 'Saadat Hasan Manto,' featuring "25 Sarvshreshth Kahaniyaan" a Hindi audiobook narrated by Kishore and his team. Experience Manto's intriguing tales, where you will discover the true meaning of love and passion—a must-listen audiobook exclusively on "Audio Pitara”. These captivating stories, including "Thanda Gosht”, "Toba Tek Sin ...
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Paish hai aapke liye brand new series ‘’Pratinidhi kahaniyan’’ jo likhi gayi hain ek bahut hi jaani-maani lekhika, upanyaskar,aur bahut hi achhi film nirmata Ismat Chugtai dwara. Iss series main honge 14 interesting episodes jisme aap janenge muslim dharm ke bare main,lekhika ke jeewan ke baare main aur bhi bahut kuch khaas, toh rukna kisliye? Shuru kariye sari sunana or janiye Ismat Chugtai ke bare main sirf ‘’Audio Pitara’’ par. Stay Updated on our shows at audiopitara.com and follow us on ...
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Discuss what happened, what is happening, what could happen.
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चम्बा की धूप | कुमार विकल ठहरो भाई, धूप अभी आयेगी इतने आतुर क्यों हो आख़िर यह चम्बा की धूप है एक पहाड़ी गाय आराम से आयेगी यहीं कहीं चौग़ान में घास चरेगी गद्दी महिलाओं के संग सुस्तायेगी किलकारी भरते बच्चों के संग खेलेगी रावी के पानी में तिर जायेगी और खेल कूद के बाद यह सूरज की भूखी बिटिया आटे के पेड़े लेने को हर घर का चूल्हा -चौखट चूमेगी और अचानक थकक…
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भीगना | प्रशांत पुरोहित जब सड़क इतनी भीगी है तो मिट्टी कितनी गीली होगी, जब बाप की आँखें नम हैं, तो ममता कितनी सीली होगी। जेब-जेब ढूँढ़ रहा हूँ माचिस की ख़ाली डिब्बी लेकर, किसी के पास तो एक अदद बिल्कुल सूखी तीली होगी। कोई चाहे ऊपर से बाँटे या फिर नीचे से शुरू करे, बीच वाला फ़क़त हूँ मैं, जेब मेरी ही ढीली होगी। ना रहने को ना कहने को, मैं कभी सड़क पर …
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जीवन | अज्ञेय चाबुक खाए भागा जाता सागर-तीरे मुँह लटकाए मानो धरे लकीर जमे खारे झागों की— रिरियाता कुत्ता यह पूँछ लड़खड़ाती टांगों के बीच दबाए। कटा हुआ जाने-पहचाने सब कुछ से इस सूखी तपती रेती के विस्तार से, और अजाने-अनपहचाने सब से दुर्गम, निर्मम, अन्तहीन उस ठण्डे पारावार से!Autor: Nayi Dhara Radio
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वापसी | अशोक वाजपेयी जब हम वापस आएँगे तो पहचाने न जाएँगे- हो सकता है हम लौटें पक्षी की तरह और तुम्हारी बगिया के किसी नीम पर बसेरा करें फिर जब तुम्हारे बरामदे के पंखे के ऊपर घोसला बनाएँ तो तुम्हीं हमें बार-बार बरजो ! या फिर थोड़ी-सी बारिश के बाद तुम्हारे घर के सामने छा गई हरियाली की तरह वापस आएँ हम जिससे राहत और सुख मिलेगा तुम्हें पर तुम जान नहीं पा…
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Gaon Gaya Tha Main | Vishwanath Prasad Tiwari
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गाँव गया था मैं | विश्वनाथ प्रसाद तिवारी गाँव गया था मैं मेरे सामने कल्हारे हुए चने-सा आया गाँव अफसर नहीं था मैं न राजधानी का जबड़ा मुझे स्वाद नहीं मिला युवतियों के खुले उरोजों और विवश होंठों में अँधेरे में ढिबरी- सा टिंमटिमा रहा था गाँव उड़े हुए रंग-सा पुँछे हुए सिंदूर-सा सूखे कुएँ-सा जली हुई रोटी - सा हँड़िया में खदबदाते कोदौ के दाने-सा गाँव बतिय…
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Zindagi Se Yehi Gila Hai Mujhe | Ahmed Faraz
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ज़िन्दगी से यही गिला है मुझे | फ़राज़ ज़िन्दगी से यही गिला है मुझे तू बहुत देर से मिला है मुझे हमसफ़र चाहिये हुजूम नहीं इक मुसाफ़िर भी काफ़िला है मुझे तू मोहब्बत से कोई चाल तो चल हार जाने का हौसला है मुझे लब कुशां हूं तो इस यकीन के साथ कत्ल होने का हौसला है मुझे दिल धड़कता नहीं सुलगता है वो जो ख़्वाहिश थी, आबला है मुझे कौन जाने कि चाहतों में फ़राज़ …
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पुकार | केदारनाथ अग्रवाल ऐ इन्सानों! आँधी के झूले पर झूलो आग बबूला बन कर फूलो कुरबानी करने को झूमो लाल सवेरे का मूँह चूमो ऐ इन्सानों ओस न चाटो अपने हाथों पर्वत काटो पथ की नदियाँ खींच निकालो जीवन पीकर प्यास बुझालो रोटी तुमको राम न देगा वेद तुम्हारा काम न देगा जो रोटी का युद्ध करेगा वह रोटी को आप वरेगा!…
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वो पेड़ | शशिप्रभा तिवारी तुमने घर के आंगन में आम के गाछ को रोपा था तुम उसी के नीचे बैठ कर समय गुज़ारते थे उसकी छांव में लोगों के सुख दुख सुनते थे उस पेड़ के डाल के पत्ते उसके मंजर उसके टिकोरे उसके कच्चे पक्के फल सभी तुमसे बतियाते थे जब तुम्हारा मन होता अपने हाथ से उठाकर किसी के हाथ में आम रखते कहते इसका स्वाद अनूठा है वह पेड़ किसी को भाता था किसी क…
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Dua Sab Karte Aaye Hain | Firaaq Gorakhpuri
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दुआ सब करते आए हैं | फ़िराक़ गोरखपुरी दुआ सब करते आए हैं दुआ से कुछ हुआ भी हो दुखी दुनिया में बन्दे अनगिनत कोई ख़ुदा भी हो कहाँ वो ख़ल्वतें दिन रात की और अब ये आलम है। कि जब मिलते हैं दिल कहता है कोई तीसरा भी हो ये कहते हैं कि रहते हो तुम्हीं हर दिल में दुख बन कर ये सुनते हैं तुम्हीं दुनिया में हर दुख की दवा भी हो तो फिर क्या इश्क़ दुनिया में कहीं का…
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प्यार में चिड़िया | कुलदीप कुमार एक चिड़िया अपने नन्हे पंखों में भरना चाहती है आसमान वह प्यार करती है आसमान से नहीं अपने पंखों से एक दिन उसके पंख झड़ जायेंगे और वह प्यार करना भूल जायेगी भूल जायेगी वह अन्धड़ में घोंसले को बचाने के जतन बच्चों को उड़ना सिखाने की कोशिशें याद रहेगा सिर्फ़ पंखों के साथ झड़ा आसमान…
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Koi Hans Raha Hai Koi Ro Raha Hai | Akbar Allahabadi
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कोई हँस रहा है कोई रो रहा है | अकबर इलाहाबादी कोई हँस रहा है कोई रो रहा है कोई पा रहा है कोई खो रहा है कोई ताक में है किसी को है गफ़लत कोई जागता है कोई सो रहा है कहीँ नाउम्मीदी ने बिजली गिराई कोई बीज उम्मीद के बो रहा है इसी सोच में मैं तो रहता हूँ 'अकबर' यह क्या हो रहा है यह क्यों हो रहा हैAutor: Nayi Dhara Radio
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Ladki Ne Darna Chhor Diya | Sheoraj Singh 'Bechain'
2:02
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लड़की ने डरना छोड़ दिया | डॉ श्यौराज सिंह बेचैन लड़की ने डरना छोड़ दिया अक्षर के जादू ने उस पर असर बड़ा बेजोड़ किया, चुप्पा रहना छोड़ दिया, लड़की ने डरना छोड़ दिया। हंसकर पाना सीख लिया, रोना-पछताना छोड़ दिया। बाप को बोझ नहीं होगी वह, नहीं पराया धन होगी लड़के से क्यों- कम होगी, वो उपयोगी जीवन होगी। निर्भरता को छोड़ेगी, जेहनी जड़ता को तोड़ेगी समता मूल्…
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दूसरे लोग | मंगलेश डबराल दूसरे लोग भी पेड़ों और बादलों से प्यार करते हैं वे भी चाहते हैं कि रात में फूल न तोड़े जाएँ उन्हें भी नहाना पसन्द है एक नदी उन्हें सुन्दर लगती है दूसरे लोग भी मानवीय साँचों में ढले हैं थके-मांदे वे शाम को घर लौटना चाहते हैं। जो तुम्हारी तरह नहीं रहते वे भी रहते हैं यहाँ अपनी तरह से यह प्राचीन नगर जिसकी महिमा का तुम बखान करत…
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वह चेहरा | कुलदीप कुमार आज फिर दिखीं वे आँखें किसी और माथे के नीचे वैसी ही गहरी काली उदास फिर कहीं दिखे वे सांवले होंठ अपनी ख़ामोशी में अकेले किन्हीं और आँखों के तले झलकी पार्श्व से वही ठोड़ी दौड़कर बस पकड़ते हुए देखे वे केश लाल बत्ती पर रुके-रुके अब कभी नहीं दिखेगा वह पूरा चेहरा?Autor: Nayi Dhara Radio
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तुम्हारी कविता | प्रशांत पुरोहित तुम्हारी कविता में उसकी काली आँखें थीं- कालिमा किसकी- पुतली की, भँवों की, कोर की, या काजल-घुले आँसुओं की झिलमिलाती झील की? तुम्हारी ग़ज़ल में उसकी घनी ज़ुल्फ़ें थीं— ज़ुल्फ़ें कैसीं- ललाट लहरातीं, कांधे किल्लोलतीं, कमर डोलतीं, या पसीने-पगी पेशानी पे पसरतीं, बट खोलतीं? तुम्हारी नज़्म में उसकी आवाज़ थी - आवाज़ कैसी- ग…
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नदियाँ | आलोक धन्वा इछामती और मेघना महानंदा रावी और झेलम गंगा गोदावरी नर्मदा और घाघरा नाम लेते हुए भी तकलीफ़ होती है उनसे उतनी ही मुलाक़ात होती है जितनी वे रास्ते में आ जाती हैं और उस समय भी दिमाग कितना कम पास जा पाता है दिमाग तो भरा रहता है लुटेरों के बाज़ार के शोर से।Autor: Nayi Dhara Radio
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पानी एक रोशनी है। केदारनाथ सिंह इन्तज़ार मत करो जो कहना हो कह डालो क्योंकि हो सकता है फिर कहने का कोई अर्थ न रह जाए सोचो जहाँ खड़े हो, वहीं से सोचो चाहे राख से ही शुरू करो मगर सोचो उस जगह की तलाश व्यर्थ है। जहाँ पहुँचकर यह दुनिया एक पोस्ते के फूल में बदल जाती है नदी सो रही है उसे सोने दो उसके सोने से दुनिया के होने का अन्दाज़ मिलता है। पूछो चाहे जि…
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माँ | उत्तिमा केशरी माँ आसनी पर बैठकर जब एकाकी होकर बाँचती है रामायण तब उनके स्निग्ध ज्योतिर्मय नयन भीग उठते हैं बार-बार । माँ जब ज्योत्सना भरी रात्रि में सुनाती है अपने पुरखों के बारे में तो उनकी विकंपित दृष्टि ठहर जाती है कुछ पल के लिए मानो सुनाई पड़ रही हो एक आर्तनाद ! माँ जब सोती है धरती पर सुजनी बिछाकर तब वह ढूँढ़ रही होती है अपनी ही परछाई जिस…
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Andhere Ki Bhi Hoti Hai Ek Vyavastha | Anupam Singh
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अँधेरे की भी होती है एक व्यवस्था | अनुपम सिंह अँधेरे की भी होती है एक व्यवस्था चीज़ें गतिमान रहती हैं अपनी जगहों पर बादल गरजते हैं कहीं टूट पड़ती हैं बिजलियाँ बारिश अँधेरे में भी भिगो देती है पेड़ पत्तियों से टपकता पानी सुनाई देता है अँधेरे के आईने में देखती हूँ अपना चेहरा तुम आते तो दिखाई देते हो बस! ख़त्म नहीं होतीं दूरियाँ आँसू ढुलक जाते हैं गालो…
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Achha Tha Agar Zakhm Na Bharte Koi Din Aur | Faraz
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अच्छा था अगर ज़ख्म न भरते कोई दिन और | फ़राज़ अच्छा था अगर ज़ख्म न भरते कोई दिन और उस कू-ए-मलामत में गुज़रते कोई दिन और रातों के तेरी यादों के खुर्शीद उभरते आँखों में सितारे से उभरते कोई दिन और हमने तुझे देखा तो किसी और को ना देखा ए काश तेरे बाद गुज़रते कोई दिन और राहत थी बहुत रंज में हम गमतलबों को तुम और बिगड़ते तो संवरते कोई दिन और गो तर्के-तअल्लुक…
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wHI MP3 नवंबर 2024 - 07
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Vah Jan Mare Nahi Marega | Kedarnath Agarwal
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वह जन मारे नहीं मरेगा | केदारनाथ अग्रवाल जो जीवन की धूल चाटकर बड़ा हुआ है, तूफानों से लड़ा और फिर खड़ा हुआ है, जिसने सोने को खोदा, लोहा मोड़ा है, जो रवि के रथ का घोड़ा है, वह जन मारे नहीं मरेगा, नहीं मरेगा!! जो जीवन की आग जलाकर आग बना है, फौलादी पंजे फैलाये नाग बना है, जिसने शोषण को तोड़ा, शासन मोड़ा है, जो युग के रथ का घोड़ा है, वह जन मारे नहीं मर…
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माँ की ज़िन्दगी | सुमन केशरी चाँद को निहारती कहा करती थी माँ वे भी क्या दिन थे जब चाँदनी के उजास में जाने तो कितनी बार सीए थे मैंने तुम्हारे पिताजी का कुर्ते काढ़े थे रूमाल अपनी सास-जिठानी की नज़रें बचा के अपने गालों की लाली छिपाती वे झट हाज़िर कर देती सूई-धागा और धागा पिरोने की बाज़ी लगाती हरदम हमारी जीत की कामना करती माँ ऐसे पलों में खुद बच्ची बन …
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Mujhe Prem Chahiye | Nilesh Raghuvanshi
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मुझे प्रेम चाहिए | नीलेश रघुवंशी मुझे प्रेम चाहिए घनघोर बारिश-सा । कड़कती धूप में घनी छाँव-सा ठिठुरती ठंड में अलाव-सा प्रेम चाहिए मुझे। उग आये पौधों और लबालब नदियों-सा दूर तक पैली दूब उस पर छाई ओस की बुँदों सा । काले बादलों में छिपा चाँद सूरज की पहली किरण-सा प्रेम चाहिए । खिला-खिला लाल गुलाब-सा कुनमुनाती हँसी-सा अँधेरे में टिमटिमाती रोशनी-सा प्रेम …
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स्त्री | सुशीला टाकभौरे एक स्त्री जब भी कोई कोशिश करती है लिखने की बोलने की समझने की सदा भयभीत-सी रहती है मानो पहरेदारी करता हुआ कोई सिर पर सवार हो पहरेदार जैसे एक मज़दूर औरत के लिए ठेेकेदार या खरीदी संपत्ति के लिए चौकीदार वह सोचती है लिखते समय कलम को झुकाकर बोलते समय बात को संभाल ले और समझने के लिए सबके दृष्टिकोण से देखे क्योंकि वह एक स्त्री है!…
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This world is filled with billions of minds, each of them having a different point of view. Some will praise you for your work, while others criticize. However, it's all up to you to choose whether to see the glass half full or half empty. Well, tune in with host Ashish Bhusal to this episode for your Monday motivation.…
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मरने की फ़ुरसत | अनामिका ईसा मसीह औरत नहीं थे वरना मासिक धर्म ग्यारह बरस की उमर से उनको ठिठकाए ही रखता देवालय के बाहर! बेथलेहम और यरूशलम के बीच कठिन सफ़र में उनके हो जाते कई तो बलात्कार और उनके दुधमुँहे बच्चे चालीस दिन और चालीस रातें जब काटते सड़क पर, भूख से बिलबिलाकर मरते एक-एक कर— ईसा को फ़ुरसत नहीं मिलती सूली पर चढ़ जाने की भी!…
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कब लौट के आओगे बता क्यों नहीं देते | सलमान अख़्तर कब लौट के आओगे बता क्यों नहीं देते दीवार बहानों की गिरा क्यों नहीं देते तुम पास हो मेरे तो पता क्यों नहीं चलता तुम दूर हो मुझसे तो सदा क्यों नहीं देते बाहर की हवाओं का अगर ख़ौफ़ है इतना जो रौशनी अंदर है, बुझा क्यों नहीं देतेAutor: Nayi Dhara Radio
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Come First or Comfort! the choice is yours
13:49
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Life is full of opportunities; it begins when you realize it. Don't bind yourself to just one thing. Don't limit your potential, instead, break the boundaries, shatter limitations, and don't be afraid of losing. Work hard, expand your wings and explore until you realize your worth. Join host Ashish Bhusal in this enlightening episode.…
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अनुपस्थित-उपस्थित | राजेश जोशी मैं अक्सर अपनी चाबियाँ खो देता हूँ छाता मैं कहीं छोड़ आता हूँ और तर-ब-तर होकर घर लौटता हूँ अपना चश्मा तो मैं कई बार खो चुका हूँ पता नहीं किसके हाथ लगी होंगी वे चीजें किसी न किसी को कभी न कभी तो मिलती ही होंगी वे तमाम चीज़ें जिन्हें हम कहीं न कहीं भूल आए छूटी हुई हर एक चीज़ तो किसी के काम नहीं आती कभी भी लेकिन कोई न को…
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दादा की तस्वीर | मंगलेश डबराल दादा को तस्वीरें खिंचवाने का शौक़ नहीं था या उन्हें समय नहीं मिला उनकी सिर्फ़ एक तस्वीर गन्दी पुरानी दीवार पर टँगी है वे शान्त और गम्भीर बैठे हैं। पानी से भरे हुए बादल की तरह दादा के बारे में इतना ही मालूम है कि वे माँगनेवालों को भीख देते थे नींद में बेचैनी से करवट बदलते थे और सुबह उठकर बिस्तर की सिलवटें ठीक करते थे मै…
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अँधेरे का सफ़र मेरे लिए है | रमानाथ अवस्थी तुम्हारी चाँंदनी का क्या करूँ मैं अँधेरे का सफ़र मेरे लिए है। किसी गुमनाम के दुख-सा अनजाना है सफ़र मेरा पहाड़ी शाम-सा तुमने मुझे वीरान में घेरा तुम्हारी सेज को ही क्यों सजाऊँ समूचा ही शहर मेरे लिए है थका बादल किसी सौदामिनी के साथ सोता है। मगर इनसान थकने पर बड़ा लाचार होता है। गगन की दामिनी का क्या करूँ मैं…
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नया सच रचने | नंदकिशोर आचार्य पत्तों का झर जाना शिशिर नहीं जड़ों में यह सपनों की कसमसाहट है- अपने लिए नया सच रचने की ख़ातिर- झूठ हो जाता है जो खुद झर जाता है।Autor: Nayi Dhara Radio
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आत्मा | अंजू शर्मा मैं सिर्फ एक देह नहीं हूँ, देह के पिंजरे में कैद एक मुक्ति की कामना में लीन आत्मा हूँ, नृत्यरत हूँ निरंतर, बांधे हुए सलीके के घुँघरू, लौटा सकती हूँ मैं अब देवदूत को भी मेरे स्वर्ग की रचना मैं खुद करुँगी, मैं बेअसर हूँ किसी भी परिवर्तन से, उम्र के साथ कल पिंजरा तब्दील हो जायेगा झुर्रियों से भरे एक जर्जर खंडहर में, पर मैं उतार कर, …
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Forgiveness is indeed a powerful tool that empowers individuals to move forward, find inner peace, and cultivate a more positive and compassionate outlook on life. In a world filled with countless people - friends, enemies, loved ones, and those we may dislike - it becomes crucial to embrace forgiveness and let go of grudges. Join host Ashish Bhusa…
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लड़की | अंजू शर्मा एक दिन समटते हुए अपने खालीपन को मैंने ढूँढा था उस लड़की को, जो भागती थी तितलियों के पीछे सँभालते हुए अपने दुपट्टे को फिर खो जाया करती थी किताबों के पीछे, गुनगुनाते हुए ग़ालिब की कोई ग़ज़ल अक्सर मिल जाती थी वो लाईब्रेरी में, कभी पाई जाती थी घर के बरामदे में बतियाते हुए प्रेमचंद और शेक्सपियर से, कभी बारिश में तलते पकौड़ों को छोड़कर…
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तुमने इस तालाब में | दुष्यंत कुमार तुमने इस तालाब में रोहू पकड़ने के लिए छोटी-छोटी मछलियाँ चारा बनाकर फेंक दीं। तुम ही खा लेते सुबह को भूख लगती है बहुत, तुमने बासी रोटियाँ नाहक उठाकर फेंक दीं। जाने कैसी उँगलियाँ हैं जाने क्या अंदाज़ हैं, तुमने पत्तों को छुआ था जड़ हिलाकर फेंक दीं। इस अहाते के अँधेरे में धुआँ-सा भर गया, तुमने जलती लकड़ियाँ शायद बुझाक…
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जंतर-मंतर | अरुणाभ सौरभ लाल - दीवारों और झरोखे पर सरसराते दिन में सीढ़ी-सीढ़ी नाप रहे हो जंतर-मतर पर बोल कबूतर मैंना बोली फुदक-फुदककर बड़ी जालिम है। जंतर-मंतर मॉँगन से कछू मिले ना हियाँ बताओ किधर चले मियाँ पूछ उठाकर भगी गिलहरी कौवा बोला काँव - काँव लोट चलो अब अपने गाँव टिट्ही बोलीं टीं.टीं. राजा मंत्री छी...छी घर - घर माँग रहे वोट और नए- पुराने नोट…
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पढ़िए गीता | रघुवीर सहाय पढ़िए गीता बनिए सीता फिर इन सब में लगा पलीता किसी मूर्ख की हो परिणीता निज घर-बार बसाइए होंय कैँटीली आँखें गीली लकड़ी सीली, तबियत ढीली घर की सबसे बड़ी पतीली भर कर भात पसाइएAutor: Nayi Dhara Radio
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साथी | केदारनाथ अग्रवाल झूठ नहीं सच होगा साथी। गढ़ने को जो चाहे गढ़ ले मढ़ने को जो चाहे मढ़ ले शासन के सी रूप बदल ले राम बना रावण सा चल ले झूठ नहीं सच होगा साथी! करने को जो चाहे कर ले चलनी पर चढ़ सागर तर ले चिउँटी पर चढ़ चाँद पकड़ ले लड़ ले ऐटम बम से लड़ ले झूठ नहीं सच होगा साथी!Autor: Nayi Dhara Radio
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Threads of love - Raksha Bandhan Special
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In this heartwarming episode, we dive into the world of diverse relationships, showcasing how Raksha Bandhan transcends blood ties. The story centers around two close friends who celebrate Raksha Bandhan in a unique and heart-touching way. Tune in with host Ashish Bhusal for this special Raksha Bandhan episode.…
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Milna Tha Itefaaq Bichadna Naseeb Tha | Anjum Rehbar
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मिलना था इत्तिफ़ाक़ बिछड़ना नसीब था | अंजुम रहबर मिलना था इत्तिफ़ाक़ बिछड़ना नसीब था वो उतनी दूर हो गया जितना क़रीब था मैं उस को देखने को तरसती ही रह गई जिस शख़्स की हथेली पे मेरा नसीब था बस्ती के सारे लोग ही आतिश-परस्त थे घर जल रहा था और समुंदर क़रीब था मरियम कहाँ तलाश करे अपने ख़ून को हर शख़्स के गले में निशान-ए-सलीब था दफ़ना दिया गया मुझे चाँदी …
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Pooch Rahe Ho Kya Abhaav Hai | Shailendra
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पूछ रहे हो क्या अभाव है | शैलेन्द्र पूछ रहे हो क्या अभाव है तन है केवल, प्राण कहाँ है ? डूबा-डूबा सा अन्तर है यह बिखरी-सी भाव लहर है, अस्फुट मेरे स्वर हैं लेकिन मेरे जीवन के गान कहाँ हैं? मेरी अभिलाषाएँ अनगिन पूरी होंगी ? यही है कठिन, जो ख़ुद ही पूरी हो जाएँ - ऐसे ये अरमान कहाँ हैं ? लाख परायों से परिचित है, मेल-मोहब्बत का अभिनय है, जिनके बिन जग सू…
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How to deal with Uncertainty? जीवन में अनिश्चितता से कैसे निपटें?
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जीवन में ऐसी कई situations का सामना करना पढ़ता है जिसको लेकर आप कोई भी decision लें, ग़लत ही लगता है। ऐसे में, इस अनिश्चितता से कैसे निपटें? In this episode, Ashish will share how Steve Jobs changed his perspective on looking at different situations in life, how to use uncertainty as an opportunity for growth and how to accept changes one can't contr…
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राख | अरुण कमल शायद यह रुक जाता सही साइत पर बोला गया शब्द सही वक्त पर कन्धे पर रखा हाथ सही समय किसी मोड़ पर इंतज़ार शायद रुक जाती मौत ओफ! बार बार लगता है मैंने जैसे उसे ठीक से पकड़ा नहीं गिरा वह छूट कर मेरी गोद से किधर था मेरा ध्यान मैं कहाँ था अचानक आता है अँधेरा अचानक घास में फतिंगों की हलचल अचानक कोई फूल झड़ता है और पकने लगता है फल मैंने वे सारे …
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Tumko Bhula Rahi Thi Ki Tum Yaad Aa Gaye | Anjum Rehbar
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तुम को भुला रही थी कि तुम याद आ गए | अंजुम रहबर तुम को भुला रही थी कि तुम याद आ गए मैं ज़हर खा रही थी कि तुम याद आ गए कल मेरी एक प्यारी सहेली किताब में इक ख़त छुपा रही थी कि तुम याद आ गए उस वक़्त रात-रानी मिरे सूने सहन में ख़ुशबू लुटा रही थी कि तुम याद आ गए ईमान जानिए कि इसे कुफ़्र जानिए मैं सर झुका रही थी कि तुम याद आ गए कल शाम छत पे मीर-तक़ी-'मीर…
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तुम्हारी जाति क्या है? | कुमार अंबुज तुम्हारी जाति क्या है कुमार अंबुज? तुम किस-किस के हाथ का खाना खा सकते हो और पी सकते हो किसके हाथ का पानी चुनाव में देते हो किस समुदाय को वोट ऑफ़िस में किस जाति से पुकारते हैं लोग तुम्हें जन्मपत्री में लिखा है कौन सा गोत्र और कहां ब्याही जाती हैं तुम्हारे घर की बहन-बेटियां बताओ अपना धर्म और वंशावली के बारे में किस…
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अँकुर | इब्बार रब्बी अँकुर जब सिर उठाता है ज़मीन की छत फोड़ गिराता है वह जब अन्धेरे में अंगड़ाता है मिट्टी का कलेजा फट जाता है हरी छतरियों की तन जाती है कतार छापामारों के दस्ते सज जाते हैं पाँत के पाँत नई हो या पुरानी वह हर ज़मीन काटता है हरा सिर हिलाता है नन्हा धड़ तानता है अँकुर आशा का रँग जमाता है।…
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Tara's journey from mental illness to mental wellness
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In this episode of "Ek Tukda Zindagi Ka," host Ashish Bhusal shares an empowering story of Tara, a young woman who embarked on a transformative journey of mental health. It's a story of hope, resilience, and most importantly, a story of seeking help. To know more about Tara and her journey, listen to the episode.…
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