Vo Ped | Shashiprabha Tiwari
Manage episode 450076721 series 3463571
वो पेड़ | शशिप्रभा तिवारी
तुमने घर के आंगन में
आम के गाछ को रोपा था
तुम उसी के नीचे बैठ कर
समय गुज़ारते थे
उसकी छांव में
लोगों के सुख दुख सुनते थे
उस पेड़ के डाल के पत्ते
उसके मंजर
उसके टिकोरे
उसके कच्चे पक्के फल
सभी तुमसे बतियाते थे
जब तुम्हारा मन होता
अपने हाथ से उठाकर
किसी के हाथ में आम रखते
कहते इसका स्वाद अनूठा है
वह पेड़ किसी को भाता था
किसी को नहीं भी
जैसे तुम कहते थे
हर कोई मुझे पसंद करे
ज़रूरी तो नहीं
पेड़ वहीं खड़ा आज भी
तुम्हारी राह देखता है
वह भूल गया है कि
टूटे पत्ते, डाल, फल
दोबारा उसके तने से
नहीं जुड़ सकते
केशव!
तुम भरी दोपहरी में
उस पेड़ को याद दिला दो
कि तुम द्वारका से
मथुरा की गलियों को
नहीं लौट सकते
इस सफर में
कदम-कदम आगे ही बढ़ते हैं
लौटना और वापस लौटना
ज़िन्दगी में नहीं होता
उम्र की तरह
उसकी गिनती रोज़ बढ़ती जाती है
तुम्हारे आंगन का
वो पेड़
मुझे मेरी ज़िन्दगी के किस्से
याद दिलाता है
माधव! क्या करूं?
625 odcinków